भावनाएं मेरी बेईमान हैं,
किसी अपने से अंजान हैं
कुछ कहती हैं ,कुछ करती हैं
बतलाने से क्यूँ डरती हैं
जज़्बात मेरे नादान हैं ,
किसी अपने से अंजान हैं
कुछ चाहते हैं, कुछ कहते हैं
सहमे से हर पल रहते हैं
तमन्ना मेरी बेजुबान है,
किसी अपने से अंजान है
कभी जगती है, कभी सोती है
नैनों को ज्योति देती है
ख्वाइशें मेरी हैरान हैं,
किसी अपने से अंजान हैं
कुछ खोती हैं, कुछ पाती हैं
मुझसे जाने क्या चाहती हैं
राहें मेरी वीरान हैं,
किसी अपने से अंजान हैं
कभी ढूँढती हैं, कभी ठहरती हैं
उनके इंतज़ार में रहती हैं
अस्तित्व मेरी पहचान है
किसी अपने से अंजान है
कभी परिपक्व, कभी धुंधला सा
क्यूँ है ये हर पल बदला सा
तकदीर मेरी बलवान है
किसी अपने से अंजान है
कभी दूर है, कभी पास है
मेरी यही बस आस है
जिंदगी मेरी वरदान है
किसी अपने से अंजान है
कभी सच्चाई , कभी साजिश
कुछ कर गुजरने की है बस ख्वाइश
sundar rachna
ReplyDeletethanks kanu .....happy u liked it
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