Saturday, 30 June 2012

सुकून नहीं है , 
कुछ बैचैनी है 

शिकायत नहीं है ,
कुछ मजबूरी है

अकेलापन नहीं है ,
कुछ धुंधली यादें हैं

गिले नहीं हैं ,
कुछ अनकही सी बातें हैं

इंतज़ार नहीं है ,
कुछ फ़रियाद है

शिकवे नहीं हैं,
कुछ अधूरे किस्से हैं

असमंजस में हूँ आज ,
माझी बनकर रह गई हूँ ,
किनारे की तलाश है
शायद किसी रोज़ वो ,
किनारा मुझे मिल जाये.......................