Saturday, 30 June 2012

सुकून नहीं है , 
कुछ बैचैनी है 

शिकायत नहीं है ,
कुछ मजबूरी है

अकेलापन नहीं है ,
कुछ धुंधली यादें हैं

गिले नहीं हैं ,
कुछ अनकही सी बातें हैं

इंतज़ार नहीं है ,
कुछ फ़रियाद है

शिकवे नहीं हैं,
कुछ अधूरे किस्से हैं

असमंजस में हूँ आज ,
माझी बनकर रह गई हूँ ,
किनारे की तलाश है
शायद किसी रोज़ वो ,
किनारा मुझे मिल जाये.......................

5 comments:

  1. BEAUTIFUL SHALINI....
    NICE POEM.

    ANU

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  2. VERY NICE poem...

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    1. https://www.facebook.com/shalini.ki.sargam...........meri kuch kavitayein mere is page par .....plz like it....:)

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