Saturday, 21 July 2012

मुझे ही बना लो कायल तुम्हारा

ज़हन पर खिली धूप 
आकर के बोली 
मुझे  ही बना लो 
कायल तुम्हारा 
मुस्कुराकर हमने कहा 
उनसे जाकर के पूछो 
क्या वो छोड़ पाएंगे 
दामन हमारा ????????

                      शालिनी 

6 comments:

  1. A very colourful blog, with beautiful background pictures. And, your poetry is delicate; it has, what you would call in Urdu, 'nazakat'.

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  2. bahut bahut shukriya apka syed ji......

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  3. अतिसुन्दर ...

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