Tuesday 24 September 2024

                                                                              

                                                              खुद से इश्क़ 





कभी खुद को बहलाओ, 

फुस्लाओ,

चुटकुले सुनाओ ,

सभी हदें पार करो खुश रहने की ,

ये बात नहीं है सिर्फ कहने की 

आईने में संवारो ,

खुद को निहारो,

छुपी हुई काबिलियत को निखारो,

सभी हदें पार करो खुश रहने की, 

ये बात नहीं है सिर्फ कहने की 

अपने आशिक़ बनो ,

कदरदान बनो ,

अपने चाँद से चेहरे की मुस्कान बनो ,

कुछ वक़्त निकालकर ज़िन्दगी से ,

तुम खुद की पहचान बनो 

                                              शालिनी 'सरगम'

2 comments:

  1. लाज़वाब संदेश, सुंदर अभिव्यक्ति।
    सादर।
    -----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २७ सितम्बर २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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