खुद से इश्क़
कभी खुद को बहलाओ,
फुस्लाओ,
चुटकुले सुनाओ ,
सभी हदें पार करो खुश रहने की ,
ये बात नहीं है सिर्फ कहने की
आईने में संवारो ,
खुद को निहारो,
छुपी हुई काबिलियत को निखारो,
सभी हदें पार करो खुश रहने की,
ये बात नहीं है सिर्फ कहने की
अपने आशिक़ बनो ,
कदरदान बनो ,
अपने चाँद से चेहरे की मुस्कान बनो ,
कुछ वक़्त निकालकर ज़िन्दगी से ,
तुम खुद की पहचान बनो
शालिनी 'सरगम'
लाज़वाब संदेश, सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २७ सितम्बर २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सुन्दर रचना
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