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Tuesday 28 August 2012
Thursday 23 August 2012
बेचारे मोबाइल फ़ोन की व्यथा !!!!!!!!!!!
मैं बेचारा मोबाइल फ़ोन
कितनों के दुःख सुनता हूँ
पर मेरी व्यथा सुनने को
कोई व्यापारी उपलब्ध नहीं
कितनों की मैंने शादियाँ करवाई
कितने प्रेमियों को मिलवाया
कितनों के मैंने घर बनवाए
कितनों को ऊंचा रूतबा दिलवाया
कुछ लोगों को मैंने सजा दिलवाई
कुछ को बस टेंशन से मिलवाया
कुछ की ज़िंदगी बदल कर रख दी
कुछ की तो बस खत्म ही कर दी
कितनों को मैंने लड्डू खिलवाये
कितनों का मैंने मनोरंजन किया
कितनों को मैंने वोट
दिलवाए
कितनों को मैंने कोम्पेटीशन जितवाए
कुछ तो मेरे साथ ही सोते हैं
कुछ की तो नींदें ही छीन ली हैं
क्या करें बेचारे
मोबाइल फ़ोन के मारे
पर कहानी यहाँ ख़त्म नहीं होती
मुझ बेचारे के साथ
कितने अत्याचार हुए हैं
मैंने हर ख़ुशी और दुःख बांटा
है
मुझे नया फ़ोन आते ही
बस दुतकारा है
मेरी आधी कीमत पर
बाज़ार में फिर से उतारा है
देख ली इस जालिम दुनिया की रीति
कोई नहीं है किसी को मुझ से प्रीति
पर मेरे पास मेरे कुछ प्रिय शब्द हैं
“Jai mata di let’s rock
Dungaa mein ab tum sabko shock”
( शालिनी )
Sunday 19 August 2012
भारत:विभिन्नता में भी एकता या एकता में विभिन्नता!!!!!!!!!
विश्व में ,
अनेक देश , प्रदेश
भिन्नता , विभिन्नता
भारत , मात्र एक देश
जहाँ विभिन्नता में भी एकता
यहाँ की संस्कृति
सदियों पुरानी
त्योहारों में क्रिसमस , गुरुपर्व
या होली रमजान
सभी मानते एक सामान
खान पान का भण्डार
वस्त्रों का बाज़ार
भाषाएँ अनेक
मकसद है एक
"राष्ट्र की उन्नति "
जन - गन मन का गुडगान
तिरंगा बढाता शान
इतने विकल्प होने पर भी
देश का बटवारा हो रहा है
कश्मीर "धरती का स्वर्ग "
वीराना बनता जा रहा है
अपनी उपलब्धियों को भूल
दूसरों की चकाचौंध ने
अँधा कर दिया है
कहने को विभिन्नता में भी एकता है
पर कहीं आज बस
"एकता में ही विभिन्नता नज़र आ रही है "
जिसे जल्द ही हमें एकत्रित करना होगा!!!!!!!!!!
(शालिनी)
Thursday 16 August 2012
कोई कोई
सफलता की चाह तो सभी रखते हैं
पर सफल होता है कोई कोई
मेहनत तो सभी करते हैं
पर अंजाम तक पहुँचता है कोई कोई
ख्वाब तो सभी देखते हैं
उन्हें बुलंदी तक पहुंचाता है कोई कोई
मझदार में तो सभी फसते हैं
पर किनारे तक पहुँचता है कोई कोई
मकान तो सभी बनाते हैं
उसे घर बना पता है कोई कोई
ठोकर तो सभी खाते हैं
उठकर संभल पता है कोई कोई
ये " कोई " हम में से ही एक हैं
फर्क इतना है
ये मुश्किलों में आसानी ढूढ़ते हैं
और हम शायद
आसानी में भी मुश्किल में पड़ जाते हैं
ये हर राह में सफलता ढूढ़ लेते हैं
और हम सफलता तक पहुँच कर भी
धैर्य खो बैठते हैं !!!!!!!!!!
( शालिनी )
Wednesday 15 August 2012
ऐ मेरे वतन !!!!!!!!!
वतन को हमपर नाज़ है
हमें ही रखना उसका मान है
द्वेष ईर्ष्या को मिटाकर
मोहब्बत दिलों में फैलाकर
हमें ही रखना उसका मान है
द्वेष ईर्ष्या को मिटाकर
मोहब्बत दिलों में फैलाकर
ऐ मेरे वतन के रक्षको
ज़रा अपने घरोंदे से निकलो
देखो तुम्हारे तिरंगे को
देखो तुम्हारे तिरंगे को
कोई चौथे " लहू "के रंग में न रंग दे
उसकी हिफाज़त करो
न की बस भीड़ में शामिल होकर तमाशा देखो
स्वंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
" जय हिंद ( शालिनी )
Monday 13 August 2012
एक कवि के शब्दों की एक अथाह धारा!!!!!!!!!!!!!!
आज सोचती हूँ ,
क्यूँ न एक कहानी लिखूं
कुछ शब्द मिले हैं ,
कुछ बाक़ी हैं
शब्दों से ख्याल आया ,
क्यूँ न नि :शब्दों को लिखूं
कागज़ पर उतारते ही ,
उन्हें तो जुबां मिल गयी
जुबां से ख्याल आया ,
क्यूँ न बेजुबां अहसासों को लिखूं
लिखने लगी तो उनकी
गहराई मिल गई
गहराई से ख्याल आया ,
क्यूँ न दिल की गहराई को लिखूं
लिखने लगी तो ,
भावों का समंदर दिख गया
जहाँ मेरे शब्दों का ,
कोई अंत न था
अब समझ में आया , एक कवि
उसके भावों ,उसकी कल्पनाओं की
कोई सीमा नहीं होती
बस होती है तो
उसके शब्दों की एक अथाह धारा
( शालिनी )
Saturday 11 August 2012
मेरी एक हसरत
ज़िन्दगी बहुत छोटी है
फिर भी हम इसे जी नहीं पाते
हर मोड़ पर विचलित होना तो ,
जैसे बस फितरत बन गया है
खुद के नजरिये से ज्यादा
फिर भी हम इसे जी नहीं पाते
हर मोड़ पर विचलित होना तो ,
जैसे बस फितरत बन गया है
खुद के नजरिये से ज्यादा
दुसरो के शब्दों पर यकीन है
अपनी इन आँखों को मूँद कर
तमाशा देखना तो
जैसे बस आदत बन गया है
कभी सोचते हैं ज़िन्दगी से
कुछ गुफ्तगू करे
पर उसे समझ के भी न समझ पाना
तो जैसे बस एक हसरत बन गया है
अपनी इन आँखों को मूँद कर
तमाशा देखना तो
जैसे बस आदत बन गया है
कभी सोचते हैं ज़िन्दगी से
कुछ गुफ्तगू करे
पर उसे समझ के भी न समझ पाना
तो जैसे बस एक हसरत बन गया है
Monday 6 August 2012
वो यारियां .........
वो यारियां ,
वो कहानियां
वो स्कूल में लास्ट सीट पर बैठना
टीचर होने पर भी लंच चुपके से खाना
वो कॉलेज खत्म हो जाना
प्लेसमेंट की चिंता सताना
एक दुसरे का उत्साह बढाना
फिर कहीं नौकरी पर जाना
सब दोस्तों से बिछड़ जाना
बार बार सबकी याद सताना
अपने बिजी लाइफ में से कुछ समय निकालना
और बस यही कहते रहना
क्या दिन थे यार वो भी , आज भी बहुत याद आते है
ऐसी ही थी यारियां
कुछ हमारी कहानियाँ
वो कहानियां
वो स्कूल में लास्ट सीट पर बैठना
टीचर होने पर भी लंच चुपके से खाना
हर टीचर को अलग नाम से चिड़ाना
वो दोस्ती निभाना
फिर बस यही कहना
हमें तो कोई समझता ही नहीं
वो बंक मरना , वो मूवी देखने जाना
यार मुझे तो फिर से प्यार हो गया
ऐसा बार बार कहना
वो अपनी लव स्टोरी सुनाना
एक दुसरे को सताना ,फिर रूठ जाना
मनाने के लिए बात २ पर पार्टी माँगना
और बस यही कहना
तू नहीं होता तो मेरा क्या होता
वो कैंटीन में जाना ,
पैसे न होने पर उधारी चलाना
यार जल्दी ही लौटा दूंगा
ऐसा कहते रहना, और फिर खुद ही भूल जाना
ऐक्साम्स में रात रात भर बैठ कर पढना
कुछ फर्रे भी बनाना , चीटिंग करते पकडे जाना
बस यही कहते रहना
आज साला किस्मत ही ख़राब थी
वो दोस्ती निभाना
फिर बस यही कहना
हमें तो कोई समझता ही नहीं
वो बंक मरना , वो मूवी देखने जाना
यार मुझे तो फिर से प्यार हो गया
ऐसा बार बार कहना
वो अपनी लव स्टोरी सुनाना
एक दुसरे को सताना ,फिर रूठ जाना
मनाने के लिए बात २ पर पार्टी माँगना
और बस यही कहना
तू नहीं होता तो मेरा क्या होता
वो कैंटीन में जाना ,
पैसे न होने पर उधारी चलाना
यार जल्दी ही लौटा दूंगा
ऐसा कहते रहना, और फिर खुद ही भूल जाना
ऐक्साम्स में रात रात भर बैठ कर पढना
कुछ फर्रे भी बनाना , चीटिंग करते पकडे जाना
बस यही कहते रहना
आज साला किस्मत ही ख़राब थी
वो कॉलेज खत्म हो जाना
प्लेसमेंट की चिंता सताना
एक दुसरे का उत्साह बढाना
फिर कहीं नौकरी पर जाना
सब दोस्तों से बिछड़ जाना
बार बार सबकी याद सताना
अपने बिजी लाइफ में से कुछ समय निकालना
और बस यही कहते रहना
क्या दिन थे यार वो भी , आज भी बहुत याद आते है
ऐसी ही थी यारियां
कुछ हमारी कहानियाँ
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