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Sunday, 2 September 2012

दस्तूर -ऐ -मोहब्बत


दस्तूर - -मोहब्बत की ये क्या दास्ताँ है 
हसाती भी है , फसाती भी है
तनहाइयों में हमको रुलाती भी है 

जिक्र जब- होता है हुज़ूर 
परवानो के जलने के किस्से मशहूर
हराती भी है , जिताती भी है 
 परवाज़ से हमको मिलाती भी है 

पाने की  कुछ अधूरी सी चाह
खोने की कुछ अनकही सी राह
जगाती भी है ,सुलाती भी है
दुश्मन हमें ज़माने का बनाती भी है 









Tuesday, 28 August 2012

ek gazal..............






aj koi gazal tere naam na kar du 
chalte chalte bas shaam na kar du 
har taraf geeton ki mahfil saji hai
aj apna koi geet benaam na kar du 

aj koi khwaaish tere naam na kar du 
chalte chalte bas shaam na kar du
har taraf charcha "ae "aam ho rahi hai
aaj tujhe kahin badnaam na kar du

शालिनी "सरगम "

"सरगम"




सहज कर संजोया था
मैंने अपनी "सरगम" को
बस पलक झपकते ही
सुर कब दगा दे गये
                        शालिनी "सरगम "

Thursday, 23 August 2012

बेचारे मोबाइल फ़ोन की व्यथा !!!!!!!!!!!



 मैं बेचारा मोबाइल फ़ोन 
कितनों के दुःख सुनता हूँ 
पर मेरी व्यथा सुनने को 
कोई व्यापारी उपलब्ध नहीं 

कितनों की मैंने शादियाँ करवाई 
कितने प्रेमियों को मिलवाया 
कितनों के मैंने घर बनवाए 
कितनों को ऊंचा रूतबा दिलवाया 

कुछ लोगों को मैंने सजा दिलवाई 
कुछ को बस टेंशन से मिलवाया 
कुछ की ज़िंदगी बदल कर रख दी 
कुछ की तो बस खत्म ही कर दी 

कितनों को मैंने लड्डू खिलवाये 
कितनों का मैंने मनोरंजन किया 
कितनों को मैंने वोट  दिलवाए 
कितनों को मैंने कोम्पेटीशन जितवाए 

कुछ तो मेरे साथ ही सोते हैं 
कुछ की तो नींदें ही छीन ली हैं 
क्या करें बेचारे 
मोबाइल फ़ोन के मारे 

पर कहानी यहाँ ख़त्म नहीं होती 
मुझ बेचारे के साथ 
कितने अत्याचार हुए हैं 
मैंने हर ख़ुशी और दुःख बांटा  है 
मुझे नया फ़ोन आते ही 
बस दुतकारा है 
मेरी आधी कीमत पर 
बाज़ार में फिर से उतारा है 

देख ली इस जालिम दुनिया की रीति 
कोई नहीं है किसी को मुझ से प्रीति
पर मेरे पास मेरे कुछ प्रिय शब्द हैं 
“Jai mata di let’s rock
Dungaa mein ab tum sabko shock”
                                           (  शालिनी )







Sunday, 19 August 2012

भारत:विभिन्नता में भी एकता या एकता में विभिन्नता!!!!!!!!!

विश्व में ,
 अनेक देश , प्रदेश 
भिन्नता , विभिन्नता 
भारत , मात्र एक देश 
जहाँ विभिन्नता  में भी एकता 
यहाँ की संस्कृति 
सदियों पुरानी 

त्योहारों में क्रिसमस , गुरुपर्व           
या होली रमजान 
सभी मानते एक सामान 
खान पान का भण्डार 
वस्त्रों का बाज़ार 
भाषाएँ अनेक 
मकसद है एक 
"राष्ट्र की उन्नति "
जन - गन मन का गुडगान 
तिरंगा बढाता शान 
इतने  विकल्प होने पर भी 
देश का बटवारा हो रहा है 
कश्मीर "धरती का स्वर्ग "
वीराना बनता जा रहा है 
अपनी उपलब्धियों को भूल 
दूसरों की चकाचौंध ने 
अँधा कर दिया है 
कहने को  विभिन्नता  में भी एकता है 
 पर कहीं आज  बस 
"एकता में ही विभिन्नता नज़र आ रही है "
जिसे जल्द ही हमें  एकत्रित करना होगा!!!!!!!!!!
                                       (शालिनी)



Thursday, 16 August 2012

कोई कोई

सफलता की चाह तो सभी रखते हैं 
पर सफल होता है कोई कोई 

मेहनत तो सभी करते हैं 
पर अंजाम तक पहुँचता है कोई कोई 

ख्वाब तो सभी देखते हैं 
उन्हें बुलंदी तक पहुंचाता है  कोई कोई 

मझदार में तो सभी फसते हैं 
पर किनारे तक पहुँचता  है कोई कोई 

मकान तो सभी बनाते हैं
उसे घर बना पता है कोई कोई 

ठोकर तो सभी खाते हैं
उठकर संभल पता है कोई कोई 



ये " कोई " हम में से ही एक हैं 
फर्क इतना है
ये मुश्किलों में आसानी ढूढ़ते  हैं 
और हम शायद 
आसानी में भी मुश्किल में पड़ जाते हैं 
ये हर राह में सफलता ढूढ़ लेते हैं
और हम सफलता तक पहुँच कर भी 
धैर्य खो बैठते हैं !!!!!!!!!! 
                              ( शालिनी )



Wednesday, 15 August 2012

ऐ मेरे वतन !!!!!!!!!


Monday, 13 August 2012

एक कवि के शब्दों की एक अथाह धारा!!!!!!!!!!!!!!



आज सोचती हूँ , 
                        क्यूँ न एक कहानी लिखूं 
कुछ शब्द मिले हैं ,
                         कुछ  बाक़ी हैं 
शब्दों से ख्याल आया ,
                          क्यूँ न नि :शब्दों को लिखूं 
कागज़ पर उतारते ही ,
                           उन्हें तो जुबां मिल गयी 
जुबां से ख्याल आया ,
                           क्यूँ न बेजुबां अहसासों को लिखूं 
लिखने लगी तो उनकी 
                           गहराई  मिल गई 
गहराई से ख्याल आया ,
                            क्यूँ न दिल की गहराई को लिखूं
लिखने लगी तो ,
                          भावों का समंदर दिख गया 
जहाँ मेरे शब्दों का ,
                        कोई अंत न था 
अब  समझ में आया ,  एक कवि
                           उसके भावों ,उसकी कल्पनाओं की
कोई सीमा नहीं होती 
                             बस होती है तो 
उसके शब्दों की एक अथाह धारा
                                         ( शालिनी )

Saturday, 11 August 2012

मेरी एक हसरत


Monday, 6 August 2012

वो यारियां .........

वो यारियां ,
वो कहानियां 
वो स्कूल में लास्ट सीट पर बैठना 
टीचर होने पर भी लंच चुपके से खाना 

हर टीचर को अलग नाम से चिड़ाना
वो दोस्ती निभाना
फिर बस यही कहना
हमें तो कोई समझता ही नहीं

वो बंक मरना , वो मूवी देखने जाना
यार मुझे तो फिर से प्यार हो गया
ऐसा बार बार कहना
वो अपनी लव स्टोरी सुनाना
एक दुसरे को सताना ,फिर रूठ जाना
मनाने के लिए बात २ पर पार्टी माँगना
और बस यही कहना
तू नहीं होता तो मेरा क्या होता

वो कैंटीन में जाना ,
पैसे न होने पर उधारी चलाना
यार जल्दी ही लौटा दूंगा
ऐसा कहते रहना, और फिर खुद ही भूल जाना
ऐक्साम्स में रात रात भर बैठ कर पढना
कुछ फर्रे भी बनाना , चीटिंग करते पकडे जाना
बस यही कहते रहना
आज साला किस्मत ही ख़राब थी 





वो कॉलेज खत्म हो जाना
प्लेसमेंट की चिंता सताना
एक दुसरे का उत्साह बढाना
फिर कहीं नौकरी पर जाना
सब दोस्तों से बिछड़ जाना
बार बार सबकी याद सताना
अपने बिजी लाइफ में से कुछ समय निकालना
और बस यही कहते रहना
क्या दिन थे यार वो भी , आज भी बहुत याद आते है
ऐसी ही थी यारियां
कुछ हमारी कहानियाँ 

Saturday, 21 July 2012

मुझे ही बना लो कायल तुम्हारा

ज़हन पर खिली धूप 
आकर के बोली 
मुझे  ही बना लो 
कायल तुम्हारा 
मुस्कुराकर हमने कहा 
उनसे जाकर के पूछो 
क्या वो छोड़ पाएंगे 
दामन हमारा ????????

                      शालिनी 

Thursday, 19 July 2012


फ़साना भी में हूँ . दीवाना भी में हूँ 
ज़माना भी में हूँ , तराना भी मैं हूँ
ज़रा देख तू भी , एक नज़र भर के मुझको 
हजारों में खिलता वो गुलज़ार में हूँ

तेरी एक झलक को तरसता भी में हूँ
तेरी उन आँखों को पढता  भी में हूँ
तुझे इसका अहसास कैसे कराऊँ 
तेरी इन बातों का कायल भी में हूँ



तुझे इस कदर समझता भी में हूँ
तेरी हर आदत को चाहता भी में हूँ
तुझे ये हकीकत बताऊँ भी तो कैसे
तुझे खोने से डरता भी में हूँ

शिकायत तुझी से करता भी में हूँ
नजाकत तेरी सहता भी में हूँ
अरे जालम इस कदर इतरा 
तुझी से मोहब्बत करता भी  में हूँ