दोस्ती,
एक आशा एक खुशी ,
इन होठों की हँसी
फूल सी कोमल ,
दीये की लौ,
सूरज का प्रकाश
कभी रूठना कभी मनाना,
न मानने पर यूँ आंशू बहाना
कभी विश्वास,
कभी चाहत
कभी आस,
कभी नफरत
दोपहर का पहर
शायर का अंदाज़ ,
सागर की लहर
किसी की इनायत ,
किसी की इबादत
यादों का दरिया' ,
हसने का जरिया'
कभी हिमायत,
कभी शरारत
कभी जुस्तजू,
कभी हकीकत
जीवन की कश्ती,
दोस्तों की बस्ती
बात बात पर,
यूँ मारना मस्ती
कभी मिलना,
कभी बिछडना
न चाह कर भी,
तेरे रंग में रंगना
कुछ पल ,
कुछ यादें
कुछ बातें
क्या यही दोस्ती है?
या फिर,
कुछ और अभी बाकी है?
हाँ शायद ,
जिसको मैं अपने शब्दों में
कभी बयान ही ना कर सकूँ,
ऐसी ही है यह दोस्ती.......