सुकून नहीं है ,
कुछ बैचैनी है
शिकायत नहीं है ,
कुछ मजबूरी है
अकेलापन नहीं है ,
कुछ धुंधली यादें हैं
गिले नहीं हैं ,
कुछ अनकही सी बातें हैं
इंतज़ार नहीं है ,
कुछ फ़रियाद है
शिकवे नहीं हैं,
कुछ अधूरे किस्से हैं
असमंजस में हूँ आज ,
माझी बनकर रह गई हूँ ,
किनारे की तलाश है
शायद किसी रोज़ वो ,
किनारा मुझे मिल जाये.......................
कुछ बैचैनी है
शिकायत नहीं है ,
कुछ मजबूरी है
अकेलापन नहीं है ,
कुछ धुंधली यादें हैं
गिले नहीं हैं ,
कुछ अनकही सी बातें हैं
इंतज़ार नहीं है ,
कुछ फ़रियाद है
शिकवे नहीं हैं,
कुछ अधूरे किस्से हैं
असमंजस में हूँ आज ,
माझी बनकर रह गई हूँ ,
किनारे की तलाश है
शायद किसी रोज़ वो ,
किनारा मुझे मिल जाये.......................