come and join ...search ur own word

Followers

Contributors

Friday, 8 September 2017

रंग



रंग तो गिरगिट भी बदलना जानता है 
पर लोग कबसे फितरत बदलना सीख गए 
हर रोज़ उठकर सोचती हूँ
आज किस रंग से रूबरू होना है मुझे 

दिखावट की इस नगरी में ,
चकाचौंध कर देने वाली रौशनी है
फिर क्यों दिलों को अँधेरे ने घेरा हुआ है 
डसना तो सांप भलीभांति जानता है 
पर लोग कबसे फन दिखाना सीख गए 

अमन चैन की बातें होठों पर रहती हैं 
द्वेष बैर से मित्रता क्या शोभा देती है
नक़ल तो बन्दर भी करना जानता है 
पर लोग कबसे होड़ करना सीख गए 

शालिनी 'सरगम'

Thursday, 7 September 2017

हमसफ़र

                                  हमसफ़र

हमसफ़र वो नहीं जो उम्र भर संग रहे 
हमसफ़र वो है जो तमाम उम्र साथ दे 

हमसफ़र मेरे कभी नहीं मांगी तुझसे मौजूदगी तेरी 
बस एक तमन्ना है हमेशा रहे सलामती तेरी 

संग होना तो सब निभाना जानते हैं 
मगर साथ देना हर किसी की सीरत में नहीं 

हमसफ़र मेरे  कभी नहीं मांगी तुझसे शामें तेरी
बस एक तमन्ना है मुझपर हमेशा रहे छाँव तेरी 

शालिनी 'सरगम'