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Thursday, 26 September 2024

                         


रिश्ते 


 

ये रिश्ते हैं थोड़े नाज़ुक और पेचीदा 

इनके पेच कसने में ज़िंदगियाँ छूट जाएँगी 

यही बेहतर है की हम,

शुरुआत करें फिर से 

अजनबियों की तरह,

 मुलाकात करें फिर से 

थोड़ा तुम शुरू करना, 

फिर मैं संभालूंगा

 शिकवे होंगे, शिकायतें होंगी 

कुछ तुम कहना , कुछ मैं सुनाऊंगा 

यही कोशिश एक नया अंजाम देगी 

जितना बांधकर रखेंगे 

उतना खुद को कैद पाएंगे 

थोड़ी आज़ादी और सम्मान देकर 

हम अपने किरदारों को बखूबी निभा पाएंगे 

                            शालिनी'सरगम'

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