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Monday, 6 August 2012

वो यारियां .........

वो यारियां ,
वो कहानियां 
वो स्कूल में लास्ट सीट पर बैठना 
टीचर होने पर भी लंच चुपके से खाना 

हर टीचर को अलग नाम से चिड़ाना
वो दोस्ती निभाना
फिर बस यही कहना
हमें तो कोई समझता ही नहीं

वो बंक मरना , वो मूवी देखने जाना
यार मुझे तो फिर से प्यार हो गया
ऐसा बार बार कहना
वो अपनी लव स्टोरी सुनाना
एक दुसरे को सताना ,फिर रूठ जाना
मनाने के लिए बात २ पर पार्टी माँगना
और बस यही कहना
तू नहीं होता तो मेरा क्या होता

वो कैंटीन में जाना ,
पैसे न होने पर उधारी चलाना
यार जल्दी ही लौटा दूंगा
ऐसा कहते रहना, और फिर खुद ही भूल जाना
ऐक्साम्स में रात रात भर बैठ कर पढना
कुछ फर्रे भी बनाना , चीटिंग करते पकडे जाना
बस यही कहते रहना
आज साला किस्मत ही ख़राब थी 





वो कॉलेज खत्म हो जाना
प्लेसमेंट की चिंता सताना
एक दुसरे का उत्साह बढाना
फिर कहीं नौकरी पर जाना
सब दोस्तों से बिछड़ जाना
बार बार सबकी याद सताना
अपने बिजी लाइफ में से कुछ समय निकालना
और बस यही कहते रहना
क्या दिन थे यार वो भी , आज भी बहुत याद आते है
ऐसी ही थी यारियां
कुछ हमारी कहानियाँ 

2 comments:

  1. ऐसी ही थीं हमारी भी यारियाँ...हमारी भी कहानियां...
    अब बस यादें हैं शेष...

    सुन्दर!!!

    अनु

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    Replies
    1. बहुत शुक्रिया अनु जी .:)बहुत याद आते हैं वो दिन .....अब तो ज़िन्दगी बस भागे जा रही है .....

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